बॉलीवुड के लिए यह साल चतुर्दिक निराशा का रहा. बॉक्स ऑफिस पर मंदी छाई रही. अनेक कलाकारों की असामयिक मौत का सदमा रहा. ड्रग्स लेने के आरोपों की वजह से कई सितारे सुर्खियों में रहे. चारों तरफ फैली मायूसी के बीच जाहिर है नए साल से काफी उम्मीदें हैं.
केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष
में मीडिया और मनोरंजन उद्योग के कुल राजस्व में करीब बीस प्रतिशत की गिरावट की
संभावना है. हालांकि 1.8 ट्रिलियन रुपए के इस उद्योग में प्रिंट, टेलीविजन और
फिल्म उद्योग के मुकाबले डिजिटल और ऑन लाइन प्लेटफार्म में वृद्धि देखी गई है. टीकाकरण
की वजह से कोरोना महामारी का भय भले ही नए साल में कम होगा, पर
लोगों की कुछ आदतें जारी रहेंगी. इनमें डिजिटल मीडिया का उपभोग भी शामिल है.
नए साल में एक बड़ा दर्शक वर्ग सिनेमा हॉल के बरक्स
डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली फिल्मों और वेब सीरिज की ओर नजरे टिकाए हुए
मिलेंगे. उम्मीद की जानी चाहिए कि विविध विषयों की ओर निर्माता-निर्देशकों का
ध्यान जाएगा. हालांकि वेब सीरिज से जुड़े कलाकारों और निर्माताओं-निर्देशकों की
चिंता के केंद्र में केंद्र सरकार की वह अधिसूचना रहेगी जिसके तहत ऑनलाइन न्यूज़
पोर्टल और ऑनलाइन कंटेंट प्रोग्राम को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाया गया
है. देश में प्रिंट मीडिया के नियमन के लिए ‘प्रेस आयोग’ और समाचार
चैनलों के लिए ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन’ और विज्ञापन के नियमन के लिए ‘एडवर्टाइजिंग
स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ है. इसी तरह
फिल्मों के लिए ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म
सर्टिफिकेशन’ है, पर डिजिटल
प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए देश में कोई कानून या स्वायत्त संस्था नहीं है. इस अधिसूचना की जद में
नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अमेजन प्राइम आदि आएँगे. नियमन का स्वरूप
क्या होगा इस बारे में अभी स्पष्टता नहीं है.
पिछले दशक में ऑनलाइन मीडिया का अप्रत्याशित विस्तार
देखा गया है. यह सच है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाए गए कुछ वेब सीरीज में जिस
तरह हिंसा का चित्रण या गाली गलौज का इस्तेमाल हुआ उसे लेकर नागरिक समाज और
सामान्य दर्शकों में रोष है. सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन माध्यमों के
नियमन की जरूरत पर जोर दिया था. पर रचनात्मक स्वतंत्रता के लिए नियंत्रण या नियमन
की कार्रवाई अवरोध ही साबित होंगे. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से मीडिया और
मनोरंजन उद्योग पर हमले हुए हैं इससे बहस-मुबाहिसा और रचनात्मकता का दायरा सिकुड़ा
है. ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े लोग इसे सेंसरशिप की ओर
बढ़ते कदम के रूप में देख रहे हैं.
पिछले महीने इन सबके बीच वर्ष 2019 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई रिची मेहता की वेब सीरीज ‘दिल्ली क्राइम’ को ‘बेस्ट ड्रामा सीरिज’ में प्रतिष्ठित एमी पुरस्कार से नवाजा गया. दिल्ली में वर्ष 2012 में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना पर यह वेब सीरीज आधारित है. जघन्य अपराध के बाद संवेदनशीलता के साथ पुलिस की कार्रवाई को यह हमारे सामने लाती है. इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से वेब सीरिज निर्माताओं-निर्देशकों की हौसला अफजाई हुई है. उम्मीद है कि नियमन/नियंत्रण की कोई कार्रवाई करने से पहले सरकार डिजिटल प्लेटफार्म की संभावना और सफलता को भी ध्यान में रखेगी.
(प्रभात खबर 20.12.2020)
No comments:
Post a Comment