Sunday, November 08, 2020

अदाकारों के लिए स्पेस रचता वेब सीरीज

कोविड के दौरान इस साल बड़े परदे पर सन्नाटा रहा और डिजिटल प्लेटफार्म पर वेब सीरीज मनोरंजन का मुख्य जरिया बनकर उभरे हैं. अपने घरों में कैद लोगों ने वेब सीरीज को हाथों हाथ लिया. पिछले दिनों अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई ‘मिर्जापुर’ सीजन दो की खूब चर्चा हो रही है. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में अवस्थित यह सीरीज बाहुबली, अवैध धंधे में लिप्त कारोबारी और राजनेताओं के आपसी गठजोड़ को यर्थाथपरक ढंग से सामने लेकर आती है. आर्थिक पिछड़ेपन और अपराध को अनुराग कश्यप ने भी अपनी चर्चित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में खूबसूरती से चित्रण किया था. हालांकि वेब सीरीज होने की वजह से मिर्जापुर का कैनवास बड़ा है, जिससे देश-काल और परिवेश उभर कर सामने आया है.

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फिल्म की तरह ही मिर्जापुर में हिंसा के चित्रण और गाली-गलौज से भरी भाषा को लेकर दर्शकों ने सोशल मीडिया पर अपना रोष व्यक्त किया है. ‘मिर्जापुर’ सीजन एक (2018) में भी हिंसा का अतिरंजित चित्रण था. सीजन दो के एक एपिसोड में आपसी संवाद में एक पात्र टिप्पणी करते हुए कहती है- ‘तुम्हारी भाषा बहुत गंदी है’. इस तरह की भाषा की शुरुआत नेटफ्लिक्स की पहली वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ से ही हो गई थी. सिनेमा में हिंसा के चित्रण, पात्रों की ‘अश्लील भाषा’ को लेकर वाद-विवाद पुराना है और पक्ष-विपक्ष में लोग बहस करते रहे हैं. इस बात से इंकार नहीं कि समकालीन समाज और राजनीति के केंद्र में हिंसा का सवाल है, जिससे वेब सीरिज अछूती नहीं है. पर ‘मिर्जापुर’ के कुछ एपिसोड में हिंसा के दृश्य आरोपित हैं. बिना इन दृश्यों के भी इस वेब सीरीज को पूरा किया जा सकता था.

बॉलीवुड में लंबे समय तक कुछ ‘फॉर्मूले’ के तहत ही फिल्में बनती रही हैं. डर इस बात का है कि आने वाले समय में वेब सीरीज कहीं ‘हिंसा-अपराध-चटपटे संवाद’ के ‘फार्मूले’ में फंस कर नहीं रह जाए. ऐसा भी नहीं कि वेब सीरीज में विषयों की विविधता नहीं है. इस साल आए वेब सीरिज ‘बंदिश बैंडिट्स’ में जहाँ संगीत केंद्र में है, वहीं ‘पंचायत’ में ग्रामीण जीवन.

भारत में वेब सीरीज की शुरुआत वर्ष 2014 से कही जाती है. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई ‘सेक्रेड गेम्स (2018)’ से आम दर्शकों के बीच वेब सीरीज की पहुँच बढ़ी और फिर देखा-देखी विभिन्न प्लेटफॉर्म पर तेजी से फैली. बहरहाल, वेब सीरीज अदाकारों के लिए मुफीद रहे हैं. एक नया स्पेस उन्हें मिला है और आने वाले समय में नए कलाकारों से उम्मीदें भी बंधी है. एक तरफ नसीरुद्दीन शाह, कुलभूषण खरबंदा, रघुवीर यादव, नीना गुप्ता, पंकज त्रिपाठी आदि जैसे मंजे कलाकार वेब सीरीज में इस साल नजर आए, वहीं ‘मिर्जापुर’ में दिव्येंदु शर्मा, श्वेता त्रिपाठी, प्रियांशु पेनयुली, ‘पाताल लोक’ में जयदीप अहलावत, ‘पंचायत’ में जितेंद्र कुमार, ‘शी’ में विजय वर्मा जैसे कलाकारों को आम दर्शकों ने अलग ने नोटिस किया है. जयदीप अहलावत और विजय वर्मा जैसे कलाकार आठ-दस वर्षों से बॉलीवुड में संघर्ष करते रहे हैं.

इन वेब सीरीज की पटकथा में कई ‘सबप्लॉट’ रचे होते हैं. मुख्य अभिनेताओं के अतिरिक्त छोटी भूमिकाओं में आए अदाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिला है. वेब सीरिज की चर्चा इन अदाकारों के लिए खास तौर पर की जानी चाहिए.

(प्रभात खबर, 8 नवंबर 2020)

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