Saturday, April 06, 2013

हिंदी में समाचार

अंतिका प्रकाशन, सजिल्द, मूल्य: 390 रुपए
ISBN Number: 9789381923573
किताब के बारे में
भूमंडलीकरण के साथ पनपे नव पूँजीवाद और हिंदी अखबारों के बीच संबंध काफी रोचक हैं। हिंदी अखबार जो अंग्रेजी अखबारों के पिछलग्गू बने हुए थे, अपनी निजी पहचान लेकर सामने आए। संचार क्रांति के दौर में इनके व्यावसायिक हितों के फलने-फूलने का खूब मौका मिला और आज ये ग्लोकल’  हैं।
उदारीकरण के बाद भारतीय राज्य और समाज के स्वरूप में आए परिवर्तनों के बरक्स भारतीय मीडिया ने भी खबरों के चयन, प्रस्तुतीकरण, प्रबंधन आदि में परिवर्तन किया। हिंदी अखबारों की सुर्खियों पर नजर डालें तो स्पष्ट दिखेगा कि खबरों के मानी, उसके उत्पादन के ढंग बदल गए हैं। अखबारों के माध्यम से बनने वाली हिंदी की सार्वजनिक दुनिया में जहाँ राजनीतिक खबरों और बहस-मुबाहिसा के बदले मनोरंजन का तत्व हावी है, वहीं भाषा, स्त्री और दलित विमर्श का एक नया रूप उभरा है। मिश्रित-अर्थव्यवस्था में जो मध्यवर्गीय इच्छा दबी हुई थी,  वह खुले बाजार में अखबारों के पन्नों पर खुल कर अभिव्यक्त हो रही है। खबरों के कारोबार में पेड न्यूजफाँस नजर आने लगी है। हिंदी पत्रकारिता की इन स्थितियों को यह शोधपरक किताब पहली बार सामग्री विश्लेषण और उदाहरणों के जरिये  निरूपित करती है।
वर्ष 1991 में उदारीकरण के रास्ते आए समकालीन भूमंडलीकरण ने हिंदी पत्रकारिता को किस रूप में प्रभावित किया? पिछले दो दशकों में भारतीय राज्य, समाज और भूमंडलीकरण के साथ हिंदी पत्रकारिता के संबंध किस रूप में विकसित हुए?  शोध और पत्रकारिता के अपने साझे अनुभव का इस्तेमाल कर अत्यधिक परिश्रम से लेखक ने इसका विवेचन और विश्लेषण किया है।
हिंदी में समाचारके मार्फत हिंदी पत्रकारिता में रुचि रखनेवाले तो इनमें आए बदलाव से जुड़ीं स्थितियों-परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझ ही सकते हैं, हिंदी पत्रकारिता के छात्रों-शोधार्थियों के लिए भी यह एक अनिवार्य सी पुस्तक है।

लेखक परिचय:अरविंद दास
जन्म: 1978 में बेलारही, मधुबनी (बिहार) में।
  शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई, आईआईएमसी से पत्रकारिता में प्रशिक्षण और जेएनयू से हिंदी साहित्य और मीडिया में शोध।  भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे से फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स। नेशनल कौंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज  से उर्दू में डिप्लोमा। जर्मनी के जिगन विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टरल शोध। पीएचडी के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप और पोस्ट डॉक्टरल शोध के लिए जर्मन रिसर्च फांउडेशन फेलोशिप। 
देश-विदेश में मीडिया को लेकर हुए सेमिनारों में शोध पत्रों की प्रस्तुति। भारतीय मीडिया के विभिन्न आयामों को लेकर जर्मनी के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान।  इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट के दक्षिण एशियाई देशों के पत्रकारों के लिए 2012 में 'न्यू मीडिया' को लेकर ट्रेनिंग और कोलंबो में हुए  वर्कशॉप में भागीदारी। 
   पत्रकारिता का ककहरा जनसत्ता से सीखा। बीबीसी के दिल्ली स्थित ब्यूरो में सलाहकार और स्टार न्यूज में मल्टीमीडिया कंटेंट एडिटर रहे। अलग अंदाज के ब्लॉगर। ब्लॉग लेखों का संकलन-'गुल,नज़ूरा और रामचंद पाकिस्तानी' शीघ्र प्रकाश्य। मिथिला कला को लेकर एक लघु पुस्तिका- गर्दिश में एक चित्र शैली प्रकाशित।
   फिलहाल पिछले दो वर्षों से करेंट अफेयर्स कार्यक्रम बनाने वाली प्रतिष्ठित प्रोडक्शन कंपनी आईटीवी के सीनियर रिसर्चर। विशेष तौर पर सीएनएन-आईबीएन पर प्रसारित होने वाले चर्चित कार्यक्रम 'डेविल्स एडवोकेट' और 'लास्ट वर्ड' के शोध की जिम्मेदारी।

विषयक्रम


प्रस्तावना

अध्याय 1
भूमंडलीकरण की अवधारणा
         भूमंडलीकरण का परिप्रेक्ष्य
 भूमंडलीकरण और पत्रकारिता
अध्याय 2
अखबार का बदलता स्वरूप: पहला पन्ना
रूप-रेखा
             सुर्खियाँ एवं उनके विषय
 भाषा-शैली
विज्ञापन
अध्याय 3
सामग्री विश्लेषण I
 स्त्री
 धर्म
    अर्थतंत्र
अध्याय 4
सामग्री विश्लेषण II
   साहित्य
खेल
अध्याय 5
सामग्री विश्लेषण III
             किसान एवं मजदूर
               दलित एवं आदिवासी
अध्याय  6
प्रबंधन एवं संचालन
           प्रबंधन का ढाँचा
                               मालिक और संपादक: भूमिका एवं संबंध
                        पत्रकारों का चयन एवं नियुक्तियाँ

निष्कर्ष

 परिशिष्ट

(गीता बुक सेंटर, जेएनयू में उपलब्ध)
(अंतिका प्रकाशन सी-56/यूजीएफ-4, शालीमार गार्डन, एक्सटेंशन-II, गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.) फोन : 0120-2648212 मोबाइल नं.9868 380797, 98718 56053, अरविंद दास, मोबाइल: 09990 306477)   

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