Thursday, November 14, 2019

भारतीय सिनेमा पर नेहरू की छाया


पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉलीवुड के फिल्मकारों, अदाकारों और सितारों से मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के अवसर पर उनके विचारों को सिनेमा के माध्यम से फैलाने पर जोर दिया. खुद गाँधी सिनेमा से प्रभावित नहीं थे. वे सिनेमा के बारे में अच्छी राय नहीं रखते थे. अपने जीवन में उन्होंने महज दो-एक फिल्में ही देखी थीं. हालांकि महात्मा गाँधी के विचारों ने कला के अन्य माध्यमों की तरह भारतीय सिनेमा और खास तौर पर बॉलीवुड को गहरे प्रभावित किया. खुद गाँधी का जीवन कई चर्चित फिल्मों मसलन गाँधी, द मेकिंग ऑफ महात्मा, लगे रहो मुन्ना भाई आदि का हिस्सा रहा है.

पर महात्मा गाँधी से उलट देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सिनेमा में गहरी रूचि थी. वे लोगों के जीवन को प्रभावित करने में सिनेमा को एक सशक्त माध्यम मानते थे. और अकारण नहीं कि बॉलीवुड के विकास में नेहरू की नीतियों का काफी योगदान है, जिसकी चर्चा आज कम ही होती है. देश में ऐसी हवा बह चली है कि जवाहरलाल नेहरू के बारे में कही कोई भी बात तथ्य से परे जाकर राजनीतिक रंग ले लेती है.

देश की आजादी के बाद वर्ष 1949 में सिनेमा उद्योग की वस्तुस्थिति की समीक्षा के लिए नेहरू ने फिल्म इंक्यावरी कमेटीका गठन किया था. इस समिति ने सिनेमा के विकास के लिए सुझाव दिए थे. इसी के सुझाव के आधार पर फिल्म फाइनेंस कार्पोरेशन, जो बाद में नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के नाम से जाना गया, का गठन 1960 में किया गया. इसी साल तत्कालीन सोवियत संघ की राजधानी मास्को स्थित सरगी ग्रासीमोव फिल्म संस्थान की तर्ज पर पुणे स्थित फिल्म संस्थान (एफटीआईआई) की स्थापना हुई. सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सिनेमा को संरक्षित करने के उद्देश्य से फिल्म संस्थान की स्थापना के कुछ ही वर्ष बाद 1964 में फिल्म संस्थान में ही राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय की स्थापना की गई. अपने आप में देश में यह एक मात्र ऐसा संस्थान है जो फिल्मो के संग्रहण, प्रसार और संरक्षण में जुटा है.

50 के दशक की फिल्मों पर नेहरू के विचारों की स्पष्ट छाप है. इस दौर में बनी बॉलीवुड की फिल्मों में नेहरू के आइडिया ऑफ इंडियाकी अभिव्यक्ति मिलती है. एक तरह का रोमांटिक नजरिया इन फिल्मों में दिखता है. राजनीतिशास्त्री मेघनाद देसाई दिलीप कुमार को नेहरू का हीरोकहते हैं.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ममलापुरम में मोदी के साथ हुई मुलाकात में लोकप्रिय फिल्म दंगल का जिक्र किया था, जिसका उल्लेख मोदी ने बॉलीवुड कलाकारों के साथ किया. नेहरू सिनेमा के कूटनीतिक इस्तेमाल को बखूबी जानते थे. सांस्कृतिक शिष्टमंडलों में वे बॉलीवुड के कलाकारों को शामिल करते थे. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बॉलीवुड के साफ्ट पावर को आज हर कोई महसूस करता है. वर्ष 1955 में रिलीज हुई राजकपूर की फिल्म-श्री 420, में शैलेंद्र का लिखा यह गाना- मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी/ सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी, जैसे नेहरू के दौर को इंगित करता है.

(राजस्थान पत्रिका, 14 नवंबर 2019)

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