Friday, April 21, 2023

जुबली वेब सीरीज: बीते दौर की खुशबू और अशोक कुमार

 


हाल ही में  विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई वेब सीरीज ने सिने जगत को कुछ बेहतरीन कलाकार दिए हैं. बात पाताल लोक की हो या क्लास की. इसी कड़ी में फिल्म निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी की वेब सीरीज 'जुबली' (अमेजन प्राइम) का नाम जुड़ गया है. इस सीरीज में अपारशक्ति खुरानावामिका गब्बीसिद्धांत गुप्ता जैसे युवा कलाकारों की खूब तारीफ हो रही है.

देश की आजादी-बंटवारे के समय और उसके तुरंत बाद पचास के दशक में बाम्बे की मायानगरी में जो चहल-पहल थी, ईर्ष्या-द्वेष था, सामाजिक-राजनीतिक परिस्थिति थी उसे नॉस्टेलजिया और ड्रामा के सहारे इस सीरीज में बुना गया है. मोटवानी और अतुल सभरवाल के लिखे इस सीरीज में यथार्थ और फैंटेसी के बीच आवाजाही है. सीरीज के केंद्र में फिल्म स्टूडियो और उससे जुड़े कलाकारों की जिंदगी है, राग-रंग है.

110 वर्षों की यात्रा में हिंदी सिनेमा ने कई मुकाम हासिल किए हैं, लेकिन पिछली सदी के 30 और 40 के दशक के चर्चित न्यू थिएटर्स, प्रभात स्टूडियो, बाम्बे स्टूडियो के योगदान की आज कोई चर्चा नहीं होती. जबकि कुंदन लाल सहगल, देविका रानी, अशोक कुमार, दिलीप कुमार जैसे फिल्मी हस्ती इन्हीं स्टूडियो की देन हैं, जिनके बिना हिंदी सिनेमा के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती.

जुबली में श्रीकांत राय (प्रसेनजीत चटर्जी) क्या बॉम्बे टॉकीज के मालिक, दूरदर्शी फिल्मकार हिमांशु राय हैंक्या उनकी पत्नी सुमित्रा कुमारी (अदिति राव हैदरी) देविका रानी हैं दर्शक उस दौर में मौजूद रहे कलाकारों की छाप सीरीज के किरदारों में ढूंढ़ते हैं. दस एपिसोड के इस सीरीज में मेरी निगाह हालांकि जिस पर टिकी रही, वह है बिनोद उर्फ मदन कुमार बने अपारशक्ति खुराना. मदन कुमार को किस्मत ने सितारा बना दिया है, जिनके नाम पर फिल्में बिकती हैं!

जब भी हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर की बात होती है दिलीप कुमार, राजकपूर और देवानंद की तिकड़ी का जिक्र किया जाता है. एक नाम इसमें हमेशा छूट जाता रहा हैअशोक कुमार का. अपारशक्ति खुराना (मदन कुमार/बिनोद) के किरदार में अशोक कुमार की छाप स्पष्ट दिखाई देती है. यह उनकी जीवनी को पढ़ कर स्पष्ट है. बहरहाल, अशोक कुमार (1911-2001) एक रिलक्टेंट एक्टर’ (अनिच्छुक कलाकार) थेजिनकी उपस्थिति हिंदी सिने जगत में करीब सात दशक तक रही और करीब 350 फिल्मों का उनका सफर रहा. कम लोग जानते हैं कि दिलीप कुमार, देवानंदमधुबाला जैसे फिल्मी सितारे, मंटो जैसे लेखक और विमल राय जैसे निर्देशक को फिल्मी दुनिया से जोड़ने में उनकी अहम भूमिका रही. फिल्मों में योगदान के लिए उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

जुबली में हम देखते हैं कि बिनोद एक तकनीक सहायक से सफल स्टार तक की यात्रा करता है, उसी तरह अशोक कुमार की भी कहानी है. वे हिमांशु राय के स्टूडियो (1934) में तकनीक सहायक बन कर आये थे. जब 'बाम्बे टॉकीज' की फिल्म 'जवानी की हवाके अभिनेता नजमुल हसन और देविका रानी के प्रेम संबंधों की भनक हिमांशु राय को लगी, तब उन्होंने हसन की जगह अशोक कुमार को अगली फिल्म जीवन नैया’ (1936) में लेने का निर्णय किया. फिर बॉम्बे टॉकीज की जीवन नैयाअछूत कन्या’,  ‘किस्मत’,  ‘महल जैसी सफल फिल्मों में अशोक कुमार ने  काम किया. और हसन वे एक गुमनाम जिंदगी बसर करते हुए लाहौर में वर्ष 1980 में गुजर गए. बाद में हिमांशु राय की वर्ष 1940 में मौत के बाद देविका रानी (1908-1994) ने रूसी पेंटर स्वेतोस्लाव रोरिक से शादी कर फिल्मी दुनिया से दूर चली गई. वर्ष 1969 में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की गई तब पहली विजेता देविका रानी ही बनी.

प्रसंगवश जुबली के गीत उड़न खटोले सुनते हुए अछूत कन्या फिल्म के गाने मैं बन की चिड़िया गाने की याद आती है. अभिनय के अतिरिक्त जुबली सीरीज अपने प्रोडक्शन-डिजाइन की गुणवत्ता की वजह से भी याद रखी जाएगी. सीरीज देखते हुए गुजिश्ता दिनों की खुशबू महसूस होती है. साथ ही सिनेमा और व्यवसाय का द्वंद जो बाद के दशक में बॉलीवुड में देखने को मिला उसकी झलक भी मिलती है.

बहरहाल, पिछले वर्ष चर्चित पटकथा लेखक और निर्देशक नवेंदु घोष लिखित जीवनी दादामुनी- द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ अशोक कुमार फिर से प्रकाशित हुई. इस किताब में घोष लिखते हैं कि अशोक कुमार हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे जिन्होंने स्टूडियो से निकल कर बॉलीवुड की सफल यात्रा की थी. अशोक कुमार ने खुद की एक अलहदा अभिनय शैली विकसित की थी और अपने पूरे फिल्मी करियर में वे प्रयोग करने ने नहीं झिझके.

किताब में अशोक कुमार एक जगह कहते हैं कि उनके निर्माण में बाम्बे टॉकीज की महत्वपूर्ण भूमिका रही. वे खास कर हिमांशु राय को क्रेडिट देना नहीं भूलते हैं. हम भले उस दौर के स्टूडियो और कलाकारों के आपसी रिश्तों को भूल गए, पर एक कलाकार ने नहीं भूला. जुबली देखते हुए एक अभिनेता (स्टार) और फिल्म निर्माता (प्रोड्यूसर) के आपसी रिश्ते को भी हम बखूबी देखते-परखते हैं.

 

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